द्रव्य का अंग्रेजी अर्थ
द्रव्य के अंग्रेजी अर्थ
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द्रव्य की परिभाषाएं और अर्थ हिन्दी में
द्रव्य ADJ
- द्रुम संबंधी । पेड़ का । पेड़ से निकला हुआ ।
- पेड़ के ऐसा ।
द्रव्य NOUN
- वस्तु । पदार्थ । चीज । वह पदार्थ जो क्रिया और गुण अथवा केवल गुण का आश्रय हो । वह पदार्थ जिसमें गुण और क्रिया अथवा केवल गुण हो और जो समवायि कारण हो । विशेष— वैशेषिक में द्रव्य नौ कहे गए हैं—पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल, दिक्, आत्मा और मन । इनमें से पृथ्वी जल, तेज, वायु, आत्मा और मन ये छह द्रव्य ऐसे हैं जिनमें क्रिया और गुण दोनों हैं । आकाश, दिक् और काल ये तीन ऐसे हैं जिनमें क्रिया नहीं केवल गुण हैं । पाँच द्रव्यों में से केवल चार सावयव हैं— पृथ्वी, जल, तेज और वायु । ये चार द्रव्य उत्पत्ति धर्मवाले माने गए हैं । ये परमाणु रूप से नित्य और कार्य (स्थूल) रूप से अनित्य हैं । इन्हीं परमाणुओं के योग से सृष्टि होती है । प्रशस्तपाद भाष्य में लिखा है कि जीवों के कर्मफल भोग का समय जब आता है तब जीवों के अदृष्ट के बल से वायु के परमाणुओं में चलन उत्पन्न होता है । इस चलन से परमाणुओं में परस्पर संयोग होता है । दो दो परमाणुओं के मिलने से 'द्वयणुक' और तीन द्वयणुकों के मिलने से 'त्रसरेणु' उतन्न होता है । इस प्रकार एक महान् वायु की उत्पत्ति होती है । महान् वायु में पहमाणुओं के संयोग से क्रमशः जल द्वयणुक, जल त्रसरेणु और फिर महान् जलनिधि उत्पन्न होता है । इस जल में पृथ्वी परमाणुओं कै परस्पर संयोग द्वारा द्वयणुकादि क्रम से महापृथ्वी की उत्प्ति होती है । फिर उसी जलनिधि में तेजस परमाणुओं के परस्पर संयोग से तेजस द्वयणुकादि क्रम से महान् तेजोराशषि की उत्पत्ति होती है । इस प्रकार वैशेषिक ने चार भूतों के अनुसार चार तरह के परमाणु माने हैं,— पृथ्वी परमाणु जल परमाणु तेज परमाणु और वायु परमाणु । इन्हीं परमाणुओं से ये चार भूत उत्पन्न होते हैं । पाचवाँ द्रव्य आकाश निरवयवप, विभु और नित्य है, न उसके टुकडे़ होते हैं और न उसका नाश होता है । आकाश की ही तरह काल और दिक् भी विभु और नित्य हैं । आत्मा एक अमूर्त द्रव्य है जो ज्ञान का अधिकरण और किसी किसी के मत से ज्ञान का समवायिकारण है । मन नित्य और मूर्त माना गया है, क्योंकि यदि मूर्त न होता तो उसमें क्रिया न होती । वैशेषिक मन को अणुरूप मानाता है क्योकि एक क्षण में एक ही इंद्रिय का संयोग उसके साथ हो सकता है । जैनों के अनुसार द्रव्य गुणों और प्रर्यायों का स्थान है और सदा एकरस रहता है, उसके भीतर भेद नहीं पड़ता । जैन ६ द्रव्य मानते हैं— जीव, धर्म अधर्म, पुड़गल, आकाश और काल । पदार्थज्ञान में आजकल पश्चिम के देशों में बहुत उन्नति हुई है । सावयव सृष्टि के वैशेषिक में चार मूल भूत कहे गए हैं और उसी के अनुसार चार प्रकार के परमाणु भी माने गए हैं पर आजकल की परीक्षाओं से ये चारों मूलभूत कहे जानेवाले पदार्थ कई मूल द्रव्यों के योग से बने पाए गए हैं । जल और वायु कई मूल द्रव्यों के योग से बने परीक्षा द्वारा सिद्ध हो चुके हैं । पाश्चात्य रसायन में शताधिक मूल द्रव्य माने गए हैं, जिनके परमाणुओं के रासायनिक संयोग से भिन्न भिन्न पदार्थ बने हैं । अतः इस हिसाब से भी परमाणु शताधिक प्रकार के हुए । मूल द्रव्यों परमाणुओं के गुरुत्व का यदि परस्पर मिलान किया जाय तो उनमें एक हिसाब से चलता हुआक्रम पाया जाता है जिससे सिद्ध होता है कि ये सब मूल द्रव्य भी एक ही परम द्रव्य से निकले हैं ।
- सामग्री । सामान । उपादान । वह जिससे कोई वस्तु बनी हो ।
- धन । दौलत । रुपया पैसा ।
- पीतल ।
- औषध । भेषज ।
- मद्य ।
- लेप ।
- गोंद ।
- गाय ।
द्रव्य का अंग्रेजी मतलब
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"द्रव्य" के बारे में
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